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लेखनी प्रतियोगिता -27-Nov-2021

                    भय

भय क्या है? क्या आप चाहेंगे कि लोग ये मान लें कि आपको दर लगता है? क्या भय का होना या ना होना उचित है? 
भय मनुष्य के जन्म के साथ ही जन्म लेता है। भय ही तो है कि बालक किसी अंजान के गोद नहीं जाता। भय ही है कि कोई बालक नियमित विद्यालय का गृह कार्य करता है। भय ही है कि कोई मनुष्य गलत कार्य नहीं करता। भय ही है जिससे नियम कानून और सजा का प्रावधान है। सोचिए यदि भय न होता तो क्या कोई नियम कानून होता? जब सजा का भय समाप्त हो जाता है तो मनुष्य गलत कार्य करने लग जाता है।
माता को भय है कि उसकी संतान गलत रास्ते पर न निकल जाए इसलिए गलत कार्य करने पर डांटती है। पिता को भय है कि उसकी संतान धन का दुरूपयोग न करे, इसलिए जरूरत पड़ने पर ही रूपए देते हैं। भाई को भय है कि कोई उसकी बहन की नासमझी का फायदा न उठाए, इसलिए उससे सवाल करता है। ये भय अच्छा है क्योंकि ये भय प्रेम से उत्पन्न हुआ है।
जब भय मोह से उत्पन्न होता है तो ये सर्वप्रथम विकास रोकता है। भय के कारण ही माता पिता अपनी संतान को चोट के डर से खेलने से रोकते हैं। माता पिता या किसी संबंधी का भय ही तो है जो किसी जवान को बॉर्डर पर जाने में बाधा उत्पन्न करता है। माता का भय ही पुत्र को शिक्षा के लिए दूसरे शहर जाने से रोकता है। ये भय ही पति- पत्नी के बीच विवाद का कारण बनता है। ये भय ही किसी लड़की के पांव की बेड़ियां बन जाता है। जब मोह समाप्त हो जाता है और प्रेम होता है तो माता अपने पुत्र को खुशी- खुशी बॉर्डर पर भेजती है। पति- पत्नी के मध्य विश्वास होता है, संदेह नहीं। भाई, बहन से राखी बंधवाता है,उसके पांव में बेड़ियां नहीं डालता।
अतः भय का होना आवश्यक है; तभी तो ये जन्म से हमारे साथ है, परंतु अति तो हर चीज की ही बुरी होती है। जब कुशंका के भय से मनुष्य यात्रा ही न करे, मृत्यु के भय से किसी जीव की रक्षा न करें, अंधकार के भय से रात्रि में न निकलना इत्यादि भय होने पर मनुष्य को डरपोक कहा जा सकता है।

सारांश यही है कि प्रेम से उत्पन्न भय हमें अच्छाई के मार्ग पर अग्रसर करता है जबकि मोह से उत्पन्न भय विकास रोकता है।

#प्रतियोगिता हेतु

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8 Comments

Barsha🖤👑

10-Dec-2021 09:39 PM

Nice

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Chirag chirag

09-Dec-2021 05:13 PM

Nice

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